रियल एस्टेट कंपनी रुस्तमजी समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बोमन आर ईरानी को हाल ही में डेवलपर्स की शीर्ष संस्था, क्रेडाई (कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। रियल एस्टेट क्षेत्र में 27 वर्षों के अनुभव और ज्ञान के साथ पहली पीढ़ी के रियल एस्टेट डेवलपर और उद्यमी, ईरानी के पास अपने कार्यकाल (2023-25) के दौरान क्रेडाई को और मजबूत करने और रियल एस्टेट सेक्टर को सतत् विकास के मार्ग पर स्थापित करने और इसमें सुधार और बदलाव लाने का स्पष्ट एजेंडा है।
टॉरबिट रियल्टी के साथ इस विशेष बातचीत में, ईरानी ने रियल एस्टेट सुधारों के पुनर्गठन और सस्टेनेबल बिल्डिंग्स में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियामक ढांचे की आवश्यकता, कौशल विकास और रियल एस्टेट सेक्टर प्रगति की संभावनाओं को तलाशने में क्रेडाई की भूमिका आदि विषयों पर विशेष रूप से चर्चा की। प्रस्तुत है इस साक्षात्कार के प्रमुख अंश… विनोद बहल
क्रेडाई नेशनल के नए अध्यक्ष के रूप में आपका एजेंडा क्या है? क्रेडाई वर्ष 1999 से रियल एस्टेट सेक्टर के प्रमुख हितधारकों, विशेष रूप से डेवलपर्स और घर खरीदारों की आवाज बुलंद करने के साथ ही रियल स्टेट के प्रासंगिक मुद्दों पर पूरी इंडस्ट्री का नेतृत्व कर रहा है। इस पद को संभालने वाले मेरे पिछले साथियों ने क्रेडाई में एक मजबूत विरासत का निर्माण किया है,
जिसे हम G.R.O.W.T.H के रूप में आगे बढ़ाएंगे। यहां G का अर्थ है ग्रीन कंस्ट्रक्शन, R का अर्थ है सुधार, O का अर्थ है नए भारत के निर्माण का अवसर, W का अर्थ है महिला सशक्तिकरण, T का अर्थ है पारदर्शिता और H यानी सभी के लिए आवास।
हमने न केवल क्रेडाई, बल्कि संपूर्ण भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर के लिए ग्रीनकंस्ट्रक्शन को विशेष रूप से चिन्हित किया है। क्रेडाई का इरादा इंडष्ट्री की सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करते हुए अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करना है। इसके लिए हमारा दृष्टिकोण लक्ष्य प्राप्ति की राह में मील के पत्थर तौर पर क्षेत्रीय मानक स्थापित करने का है। इसके लिए हमने इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल(आईजीबीसी) के साथ समझौता किया है और 2030 तक 4 लाख से अधिक ग्रीन प्रमाणित घर बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से हमें उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में हम 1 लाख घरों का निर्माण करने में कामयाब होंगे। आप रियल एस्टेट सेक्टर के विकास को बढ़ावा देने में सुधारों के योगदान को कैसे देखते हैं और रेरा, जीएसटी और आईजीबीसी जैसे प्रमुख सुधारों को सुदृढ़ करने के लिए और क्या करना चाहिए?
हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2017 के बाद से, भारतीय रियल एस्टेट के नियामक परिदृश्य में गहरा परिवर्तन आया है। इन विकासों में सबसे महत्वपूर्ण, रेरा का कार्यान्वयन है जो एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में उभरा है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रेरा ने रियल एस्टेट क्षेत्र में एक आदर्श बदलाव किया है। रेरा ने खरीदारों और डेवलपर्स के बीच संबंधों को काफी मजबूत किया है। इन उपलब्धियों के बावजूद, हमारा मानना है कि परियोजनाओं और उनकी समय सीमा पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव डालने वाले अन्य प्रासंगिक हितधारकों को भी रेरा के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए। वहीं जीएसटी की शुरूआत कर संरचना को सुव्यवस्थित करते हुए, रियल एस्टेट क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मुंबई जैसे शहरों में पुनर्विकास उपक्रमों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां मौजूदा निवासियों के लिए पुनर्वास फ्लैटों के निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं पर बिना किसी लागत प्रभाव के जीएसटी लगाया जाता है।
इन विचारों के अनुरूप, डेवलपर्स और घर खरीदारों दोनों द्वारा ग्रीन बिल्डिंग्स में निवेश को बढ़ावा देने के लिए संघीय स्तर पर एक व्यापक नियामक ढांचे की स्थापना अनिवार्य है। इस ढांचे में ग्रीन-सर्टिफाईड पहलकदमी के लिए संवर्धित एफएसआई का प्राधिकरण, ग्रीन परियोजनाओं के लिए तीव्र और समेकित मंजूरी प्रणाली और साथ ही ग्रीन-सर्टिफाईड परियोजनाओं के लिए शुल्क की छूट औरवित्तीय संस्थानों द्वारा अनुकूल दरें प्रदान किया जाना शामिल हो सकते है। क्रेडाई सहित उद्योग निकाय सिंगल विंडो सिस्टम शुरू करने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। इसे लागू करने में देर क्यों हो रही है? सिंगल विंडो क्लीयरेंस एक बेहद महत्वपूर्ण मांग है जिसके तहत इंडस्ट्री अधिक सुव्यवस्थित अनुपालन प्रक्रिया के साथ काम कर सकती है और इससे संभावित रूप से लागत भी कम हो सकती है। इतना ही नहीं इससे डेवलपर्स को समय पर परियोजनाएं पूरा करने में भी सक्षम बनाया जा सकता है। कई कारणों से रियल एस्टेट क्षेत्र में सिंगल विंडो तंत्र के कार्यान्वयन में देरी हो रही है। जहां एक तरफ इसमें विधायी परिवर्तनों की आवश्यकता है वहीं रियल एस्टेट सेक्टर के हितधारकों के बीच आपसी समन्वय की कमी भी है।
सुव्यवस्थित अनुपालन वातावरण को सक्षम बनाने वाले तकनीकी बुनियादी ढांचे के विकास की भी आवश्यकता है। इसका केंद्रीय एवं राज्य दोनों ही स्तरों पर किया जाना आवश्यक है और इसे सफल और गड़बड़ी मुक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी में भी भारी निवेश करने की आवश्यकता है। साथ ही, विभिन्न हितधारकों की ओर से इस परिवर्तन का विरोध भी हो रहा है।
कुशल जनशक्ति (निर्माण श्रमिकों और रियल एस्टेट पेशेवरों सहित) की कमी इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। क्रेडाई कौशल विकास के लिए क्या पहल कर रहा है? क्रेडाई ने 2011 में स्किल डेवलपमेंट पहल की शुरूआत की और इस पहल ने 2022 तक 100,000 से अधिक श्रमिकों को कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निर्माण उद्योग के लिए एक सक्षम कार्यबल के पोषण के लिए समर्पित प्रतिबद्धता के साथ, यह फाउंडेशन ऑन-साइट और ऑफ-साइट दोनों प्रशिक्षण प्रयासों में संलग्न है। निर्माण स्थलों पर कर्मियों को सशक्त बनाने केलिए ऑन-साइट प्रशिक्षण सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक अनुभव के साथ मिश्रित करता है। साथ ही, ऑफ-साइट प्रशिक्षण के दौरान, स्रोत साइटों से व्यक्तियों को निर्माण क्षेत्र से संबंधित निर्देश प्राप्त होते हैं और बाद में उन्हें समेंट भी मिलता है। साथ ही उन्हें उद्यमशीलता के रास्ते पर चलने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।
अकेले पिछले वर्ष में, क्रेडाई ने 21,000 से अधिक निर्माण श्रमिकों को नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रमोशन ऑफ अपस्किलिंग ऑफ निर्माण वर्कर्स (NIPUN) में नामांकित किया है, जो आवास मंत्रालय द्वारा समर्थित कार्यक्रम है। आईजीबीसी के साथ मिलकर क्रेडाई ने ग्रीन बिल्डिंग के क्षेत्र में क्या प्रगति की है?
एकजुट होकर, हमने अगले दो वर्षों के भीतर देश भर में 1,000 से अधिक ग्रीन परियोजनाएं स्थापित करने और 2030 तक 4,000 परियोजनाओं का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने की यात्रा शुरू की है। 'ग्रीन क्रूसेडर्स' कार्यक्रम के माध्यम से, हमारे सदस्य डेवलपर्स ने पहले ही आईजीबीसी के साथ साझेदारी में 62 मिलियन वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र को शामिल करते हुए 71 से अधिक ग्रीन परियोजनाएं शुरू की हैं। इस प्रयास को पूरा करते हुए, हमने अपने डेवलपर्स के लिए कई कार्यशालाएं और सूचनात्मक सत्र आयोजित किए हैं, जो रियल एस्टेट सेक्टर के सतत विकास को रेखांकित करने वाले व्यापक उद्देश्यों को बढ़ावा देते हैं। आप रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा डेब्ट डिलीवरेजिंग (कर्ज कम करने की प्रवृत्ति) को कैसे देखते हैं? डेब्ट डिलीवरेजिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कंपनी अपने कर्ज को कम करने की कोशिश करती है जिससे उसके डिफ़ॉल्ट होने के खिम को समाप्त किया जा सके। हमारी राय में, कर्ज खत्म करने के प्रति रियल एस्टेट डेवलपर्स
का झुकाव निश्चित रूप से एक सकारात्मक प्रवृत्ति है। इसके विभिन्न लाभ हैं जो न केवल डेवलपर को प्रभावित करते हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अन्य हितधारकों को भी प्रभावित करते हैं। यह बाजार में वित्तीय स्थिरता को बढ़ाता है, भरोसा कायम करते हुए बाजार की अपेक्षाओं को बढ़ाता है जिससे निवेश की क्षमता में वृद्धि होती है। इससे नियामक अनुपालन का आश्वासन भी मिलता है। इस तरह डेवलपर्स अपने कर्ज को कम करके अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत कर सकते हैं और साथ ही दीर्घकालिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आप रियल एस्टेट को निवेश योग्य संपत्तिवर्ग के रूप में कैसे देखते हैं? साथ ही, आप आने वाले भविष्य में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए विकास की क्या संभावनाएं और रुझान देखते हैं? महामारी के बाद के युग के शुरुआती चरण के दौरान, भारतीय रियल एस्टेट बाजार में धीरे-धीरे सुधार हुआ है। यह बदलाव घर खरीदारों के बढ़े हुए विश्वास और घरों की बढ़ती बिक्री दोनों में परिलक्षित होता है। आवासीय संपत्तियों की मांग वर्तमान में अभूतपूर्व उच्च स्तर पर है, जो मुख्य रूप से पिछले दो से तीन वर्षों में जमा हुई मांग में वृद्धि के कारण है। भारतीय रियल एस्टेट में यह पोस्ट-कोविड मांग में वृद्धि आगामी कई तिमाहियों तक जारी रहने की उम्मीद है।
रियल एस्टेट निवेश विविधीकरण, आय सृजन और निरंतर पूंजी वृद्धि सहित कई लाभ एक साथ प्रदान करता है। रियल एस्टेट अन्य परिसंपत्ति वर्गों सेअलग है और यह निवेश पोर्टफोलियो को समृद्ध बनाता है। जैसे-जैसे घर खरीदारों की उम्र का औसत कम होता जा रहा है, आने वाले वर्षों में रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश में और भी वृद्धि होने की स्पष्ट संभावना है।